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विभूतिभूषण बन्द्योपाध्याय (1894-1950) की गिनती बँगला साहित्य के महान लेखकों में होती है। ग्राम्य बाँग्ला से किरदारों से लेकर उन्होंने बहुत सारे सामाजिक उपन्यास एवं कहानियाँ लिखी हैं। ‘पथेर पाँचाली’ उनकी लोकप्रिय एवं कालजयी कृति है। उन्होंने बहुत सारी पारलौकिक कहानियाँ भी लिखी हैं, जिनमें से ‘तारानाथ तांत्रिक’ की दो कहानियाँ विश्वप्रसिद्ध हैं। किशोरों के लिए उन्होंने तीन साहसिक गाथाएं लिखी हैंः ‘चाँदेर पाहाड़’, ‘सुन्दरबने सात बत्सर’ (इस कहानी की शुरुआत एक अन्य लेखक भुवन मोहन राय ने की थी) और ‘हीरा माणिक ज्वले।’
‘जगप्रभा’ की ओर से तीनों किशोर उपन्यासों के हिन्दी अनुवाद क्रमशः ‘चाँद का पहाड़’, ‘सुन्दरबन में सात साल’ और ‘वीरान टापू का खजाना’ शीर्षक से प्रस्तुत किये जा रहे हैं। इनके ई’बुक संस्करण ‘अमेजन किण्डल’ पर उपलब्ध हैं। ‘चाँद का पहाड़’ को भारतीय किशोरों के लिए ‘अवश्य पढ़ें’ रचना कही जा सकती है।
अनुवाद जयदीप शेखर द्वारा किये गये हैं।
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