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“जीवन की सरगम; स्वर कुछ मेरे, कुछ तुम्हारे”
यह काव्य संग्रह एक संवेदनशील सामाजिक कार्यकर्ता के अनुभवों और भावनायों का गूढ़ चित्रण है i
जीवन की सरगम उन अनसुनी आवाजों की गूंज है, जो हर नारी के मन में कहीं न कहीं बसी होती है—कभी प्रेम में , कभी पीड़ा में, तो कभी आत्म-खोज की यात्रा में
इन कवितओं में वो संवाद हैं, जो काउसेलिंग सत्र में महिलाओं, और परिवारों ने साझा किए, वे सवाल हैं जिनके जवाब अक्सर दिलों में दब जाते हैं i
यह संग्रह एक साधारण भाषा में, असाधारण भावनाओं को उजागर करता है i
प्रेम, समर्पण, असंतोष, उम्मीद, रिश्तों की परतें और आत्मिक संतुलन की खोज—यह सब समाया है इन पंक्तियों में i
यदि आप अपने जीवन की भागदोड़ से कुछ पल निकलकर खुद से जुड़ना चाहते हैं, तो यह काव्य-संग्रह आपको अपने ही भीतर की आवाज से मिलाने का आमंत्रण देता है i
शब्दों की इस सरगम में शायद आपको आपके ही जीवन के कुछ सुर मिल जाएँ ...
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