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ख़लिश एक जज़्बाती शायरी का मजमुआ है जहाँ अल्फ़ाज़ दिल के गहरे कोनों से उभरते हैं।
राइटर ने मोहब्बत, दर्द और इंसानी एहसासों को इतनी साफ़गोई से लिखा है कि हर शायरी एक एहसास बन जाती है।
ये किताब उन लम्हों को आवाज़ देती है जो हम महसूस तो करते हैं मगर कह नहीं पाते।
हर नज़्म और हर शेर ज़िंदगी के किसी न किसी मोड़ पर छोड़े हुए निशानों की याद दिलाता है।
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