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'ये किसकी लिखी रूबाईयां हैं', क्या ये आपने लिखी हैं, मोही ये सुनकर बस धीमे से मुस्करा देता है. उसका कहना है कि ऐसी दाद किसको मिलती है?
'एहसास' में मोही नैय्यर ने जीवन के उन लम्हों को कैद किया है जो हमें इंसान होने का एहसास दिलाते हैं.
दिल ने यह पूछा, क़रार किसको कहते हैं
दीद ने पूछा, दीदार किसको कहते हैं
सारी ज़िंदगी जिसके इन्तज़ार में कटी
उसी ने पूछा, इन्तज़ार किसको कहते हैं
एक तरफ मोही नैय्यर स्वाभिमान की मदिरा पीने वाला हिम्मत की चट्टान है तो दूसरी तरफ उसका दिल दर्द की दलदल हैं. दिल का सूनापन जीवन को सूना न कर सका.
मोही नैय्यर कहते हैं दुख, दर्द, और मुश्किलें तो रूहानी नेहमतें हैं जो मुझे इंसान होने का एहसास दिलाकर मेरे साथ—साथ चलती रहती हैं.
शिकवा किसी से क्या, किसी से क्या गिला
हंस कर कबूल कर जिससे भी जो मिला
तू चाहे या न चाहे, माने या न माने
चलता रहेगा यूं ही दुनिया का सिलसिला
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