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हम हैं कि हर मुश्किल से टकरा के चलते हैं
काफ़िर हैं वो जो दामन बचा के चलते हैं
तेरी याद आती है तो रो लेते हैं तन्हाई में
वरना तो हर कदम पे मुस्करा के चलते हैं
'घंटाएं' मोही की एक अछूती रचना है. इसमें यौवन में पर्दापण करते हुए प्रेम की जिन पावन अनुभूतियों ने उसे उद्वेलित किया, उन सबकी अभिव्यक्ति घटाओं में निहित है.
राह की ग़र्द से प्यार करता हूं
आहे—सर्द से प्यार करता हूं
कहीं इंसान से 'हैवान' न बन जाऊं
इसलिए दर्द से प्यार करता हूं
मोही आस, विश्वास, साहस, और धैर्य का पुजारी है. वो कर्म को पूजा मानकर निरंतर कर्मरत रहता है.
छाई यह घटा तो सिर्फ़ मोरों के लिए
खिला यह गुल तो सिर्फ़ भौरों के लिए
बाद मरने के मेरी कब्र में लिख देना
जिया यह इंसां तो सिर्फ़ औरों के लिए
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