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निज़ाम-ए-ज़िन्दगी में शामिल सारी गज़लें दिल को छू लेने वाली है। कभी कभी ज़िन्दगी कुछ ऐसे मुकाम पे लाके खड़ा कर देती है जहाँ पे इंसान चाहते हुए भी अपने आप को कुछ लिखने से रोक नहीं पाता है। ये ग़ज़लें भी कुछ ऐसे ही वक़्त में दिल से निकली हुई हैं। हर एक ग़ज़ल ऐसी है जो आपकी ज़िन्दगी के किसी वाक़्या से जुड़ जायेगी। ये किताब मोहिंदर की पहली किताब है पर इसमें लिखी हुई ग़ज़लें पिछले बीस साल में लिखी गयी हैं।
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