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इंसान का जीवन भगवान का एक अमूल्य, विस्मयकारी एवं अत्यन्त ही उपयोगी उपहार है । व्यक्ति यदि सजगता पूर्वक, धैर्य पूर्वक एवं सुनियोजित सद्कर्मों के द्वारा जीवन यापन करता है तो उसका जीवन देव तुल्य हो जाता है।
व्यक्ति का जीवन प्रत्येक क्षण प्रत्येक कदम पर कुछ न कुछ ज्ञान एवं अनुभव समेटे रहता है। ज्ञानवान एवं मुमुक्ष व्यक्ति सदैव चैतन्य रहते हुए ज्ञान और अनुभवों को ग्रहण करते हैं और कर्मों के माध्यम से उसे चरित्रार्थ करते हैं।
कभी अकेले में बैठकर कल्पना के उड़ानों में महानता के सपने बुनते हुए मात्र दो दिनों में सृजित की गई ज्ञान का दीप जलाता हूँ । महानता के सपनों के बीच मन प्रेम के गीत गुनगुनाने लगता है और प्रारम्भ हो जाता है इसका सृजन। इस संसार में वह ज्ञान किस काम का जिसमें भगवान की भक्ति अथवा निष्काम प्रेम न हो, अर्थात जो ज्ञान भवसागर से पार न लगा सके...
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