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Just like the ebb and flow that shape the shores, this collection of poems depicts the ups and downs of our emotions and experiences that shape us. It consists of three parts - poems/कविताएँ, quartets/रुबाई and couplets/शायरी, where each composition is a wave which promises to sweep the reader away by torrents of poetic verses to new lands of tranquility and connection that shall continue to resonate with them long after the page is turned.
'लहरें: शब्दों का सैलाब' मानव भावनाओं के ज्वार-भाटे के माध्यम से एक काव्यात्मक यात्रा है। जैसे ज्वार-भाटा तटों को आकार देता है उसी तरह यह कविता संग्रह हमारे भावनाओं के उतार-चढ़ाव तथा अनुभवों को दर्शाती है जो हमें सराबोर करके हमें तराशते हैं. यह संग्रह आशा और निराशा, तड़प, प्रेम और खोने के साथ-साथ मानव अस्तित्व और समाज की अवस्था को दर्शाती है। इस किताब में अधिकतर उदासीन भाव का विवरण है, जिसमें कुछ उत्साहजनक कविताएँ रात के अंधकार में मद्धिम सितारों की तरह बिखरी जैसे इस किताब की यह रुबाई;
न कर सकता है दूर अंधेरा,
कोशिश फिर भी करता है,
मेरी अंधेरी रातों में कोई,
तारों सा बन चमकता है।
यह छंद-बद्ध संग्रह पाठकों को जीवन के क्षणों पर एक शांतिपूर्ण प्रतिबिंब अनुभव करने के लिए आमंत्रित करती हैं।
तीन खंडों में विभाजित—कविताएँ, रुबाई, और शायरी—यह पुस्तक शीर्षक की महिमा का दर्शाने वाले प्रस्तावना में एक कविता के रूप से शुरू होती है और समापन अनुभाग में वैसे ही एक शेर के साथ समाप्त होती है, जो पूरे संग्रह को एकता प्रदान करती है। प्रत्येक रचना, जैसे एक लहर, पाठकों को समय के माध्यम से अपने भावनात्मक परिदृश्यों में ले जाती है, जहां उन्हें अपने क्षणों को शांति और काव्यात्मक सुंदरता के साथ फिर से जीने का अवसर मिलता है। जैसे इस किताब की अनेक शेर में से एक,
चोट लगी गहरी तो हलचल हो उठी
वो पत्थर हो गया उझाल पर लहरें मचलती रही
यह पुस्तक इस बात की पुष्टि करती है कि दुःख और दर्द सुंदर हो सकते हैं, और पाठकों को इसके पृष्ठों में खुद को खोजने का अवसर प्रदान करती है। सार्वभौमिक मानव अनुभव से प्रेरित होकर, 'लहरें : शब्दों का सैलाब' पृष्ठ पलटने के बाद भी पाठकों के साथ लंबे समय तक गूंजता रहेगा।
लेखक परिचय:
डॉ. मुशर्रफा अंसारी चिकित्सक होने के साथ अब एक सर्जन बन रही हैं। उन्हें बचपन से लिखने का शोख रहा है और उन्होंने अपनी पहली किताब ‘Withering Blossoms’ उन्नीस साल की उम्र में ही 2020 में प्रकाशित की थी। उन्होंने UNICEF तथा अन्य संस्थाओं के लिए भी लेखन कार्य किया है। वह अपने ब्लॉग और यूट्यूब के माध्यम से अक्सर रचनाएँ पेश करती हैं और अपने सभी वाचकों का धन्यवाद करती हैं।
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