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Summary: काश हम बच्चे होते
लेखक: निर्भय शुक्ला
"काश हम बच्चे होते" एक ऐसी भावनात्मक यात्रा है जो हमें हमारे बचपन की गलियों में वापस ले जाती है — जहाँ माँ की गोदी थी, पापा की डाँट में प्यार था, और दादी की धोती में छुपे सिक्के हमारे खज़ाने हुआ करते थे।
यह किताब सिर्फ यादों का पिटारा नहीं है, बल्कि उन मासूम पलों की पुकार है जिन्हें हम बड़े होने की दौड़ में कहीं पीछे छोड़ आए। यहाँ हर पन्ना एक आईना है — जो कभी स्कूल की यूनिफॉर्म से बाहर की दुनिया दिखाता है, कभी अकेलेपन की भीड़ में गुम होते रिश्तों की परछाइयाँ।
लेखक निर्भय शुक्ला ने बेहद सादगी, गहराई और सच्चाई से जीवन के उन पहलुओं को छुआ है, जहाँ हर बड़ा इंसान कभी एक मासूम बच्चा हुआ करता था।
यह किताब आपके अंतर्मन को छूएगी, आपके अंदर के बच्चे को जगाएगी और शायद आपको भी ये कहने पर मजबूर कर देगी —
"काश हम बच्चे होते..."
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