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“बीती दो किताबों के बाद, अब वक़्त है 'एक और करवट' का। जहां 'खामोश जज़्बात' ने कुछ अन-कहे ख़याल बोले और 'रात' ने कुछ कह कर कई राज़ खोले। उसी राह पर चलती आ रही हयात ने ‘एक और करवट’ ली है और सुना रही है बंटोरी हुई थोड़ी और कहानियां। कहानियां जहां हर तरह का क़िस्सा है –
कभी जिंदगी के उलझे सवाल,
कभी इश्क़ प्यार मोहब्बत के मलाल,
कभी रिश्तों के बीच का वबाल,
कभी बस दिल का हाल,
कभी खुद से खुद का विसाल,
और
कभी बस स्याही का कमाल।
आशा करती हूँ इस बार की ये कोशिश भी आपको वैसे ही पसंद आये, जैसे एक और करवट लेने पर किसी को एक सुकून महसूस होता है।“
- ओशन सिंह
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