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यह पुस्तक सिखाती है कि भावनात्मक स्पष्टता किसी बाहरी समाधान से नहीं, बल्कि स्वयं को ईमानदारी से सुनने से आती है। पाठक यह समझता है कि लेखन केवल विचारों को दर्ज करने का माध्यम नहीं, बल्कि भावनाओं को पहचानने, उन्हें नाम देने और बिना जजमेंट स्वीकार करने की प्रक्रिया है।
वन ऑनेस्ट पेज यह सीख देता है कि जब मन की उलझनों को शब्दों में जगह मिलती है, तो प्रतिक्रिया के बजाय समझ विकसित होती है, निर्णय अधिक सुसंगत होते हैं और आंतरिक शांति स्वाभाविक रूप से बढ़ती है। यह पुस्तक नियमित, सरल और ईमानदार लेखन को आत्म-समझ, मानसिक संतुलन और भावनात्मक जागरूकता का व्यावहारिक अभ्यास बनाकर प्रस्तुत करती है।
सीख ( Learning Outcomes)
लेखन के माध्यम से भावनाओं को पहचानना और उन्हें स्पष्ट रूप से समझना
बिना जजमेंट अपने विचारों और एहसासों को स्वीकार करना सीखना
भावनात्मक भ्रम को स्पष्टता में बदलने की प्रक्रिया समझना
प्रतिक्रिया देने के बजाय सोच-समझकर उत्तर देना विकसित करना
आंतरिक शांति और मानसिक संतुलन बनाए रखने की आदत बनाना
आत्म-समझ और आत्म-विश्वास को धीरे-धीरे मजबूत करना
चिंता, भय और आत्म-संदेह को शब्दों के माध्यम से हल्का करना
नियमित, सरल और ईमानदार लेखन को भावनात्मक देखभाल के अभ्यास के रूप में अपनाना
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