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"बस एक स्पंदन" मेरी दूसरी पुस्तक है।
हमारे अंदर बहुत से बातों का उथल-पुथल चलता रहता है, हम समझ नहीं पाते कि हम उसे कैसे व्यक्त करे।
तब हम अपनी भावनाओं को शब्दों को आकार देते हैं। एक कोशिश मैंने भी की है।
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