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Aanchal Ki Chuppi

लघुकथा संग्रह
Priyanka Saurabh
Type: Print Book
Genre: Satire
Language: Hindi
Price: ₹255 + shipping
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Description

आँचल की चुप्पी
लेखिका: प्रियंका सौरभ
लघुकथा संग्रह

हर चुप्पी एक कहानी होती है। कभी आँचल में छुपी पीड़ा, कभी आँखों से रिसता विरोध, कभी साड़ी के पल्लू में बंधे अधूरे सपने — और कभी बेआवाज़ विद्रोह। "आँचल की चुप्पी" सिर्फ शब्दों का संकलन नहीं, यह स्त्री-मन के उन मौन कोनों का दस्तावेज़ है जिन्हें अक्सर समाज ने अनदेखा किया, अनसुना किया।

इस संग्रह की 100 लघुकथाएँ आधुनिक भारतीय स्त्री के जीवन के विविध रंगों को छूती हैं — घरेलू हिंसा, सामाजिक बेड़ियाँ, आत्मनिर्भरता की खोज, मातृत्व का असमंजस, और सबसे बढ़कर – मौन में छिपे प्रतिरोध की शक्ति। इन कहानियों में बेटियाँ हैं, माएँ हैं, विधवाएँ हैं, कामगार हैं, शिक्षिकाएँ हैं – और सबसे ज़्यादा, एक आम औरत, जो हर रोज़ समाज के असंख्य सवालों से टकराती है।

प्रियंका सौरभ की लेखनी सहज, संवेदनशील और धारदार है। उनकी लघुकथाएँ पाठकों को भीतर तक झकझोरती हैं – बिना कोई भाषण दिए, बिना कोई नारा लगाए। वे स्त्री की चुप्पी में क्रांति की आहट सुनने का निमंत्रण देती हैं।

"आँचल की चुप्पी" उन तमाम औरतों को समर्पित है जिनके संघर्ष कभी खबर नहीं बनते, लेकिन बदलाव उन्हीं के मौन से जन्मता है।

About the Author

लेखिका परिचय
प्रियंका सौरभ
(स्वर, संवेदना और स्याही की आवाज़)

प्रियंका सौरभ एक स्वतंत्र लेखिका, स्तंभकार और कवयित्री हैं, जो हरियाणा के एक छोटे से कस्बे से निकलकर भारतीय साहित्य के मंच पर अपनी पहचान बना चुकी हैं। उनका लेखन ग्रामीण जीवन, स्त्री-संघर्ष, सामाजिक विसंगतियों और मानवीय संवेदनाओं की गहराइयों से उपजा हुआ है। वे मानती हैं कि “हर चुप्पी के पीछे एक कहानी होती है, बस उसे सुनने की संवेदना चाहिए।”

प्रियंका की लेखनी में कबीर की तीव्रता, महादेवी की करुणा और आज की नारी की बेचैनी का अद्भुत संगम दिखाई देता है। उनके लेख, कविताएँ और संपादकीय लेखन देशभर के प्रतिष्ठित पत्र-पत्रिकाओं और डिजिटल मंचों पर प्रकाशित होते रहे हैं।

उन्होंने विशेष रूप से हिंदी में स्त्री-केंद्रित लघुकथाओं के माध्यम से एक नई विमर्शधारा को जन्म दिया है, जिसमें शोषण के विरुद्ध प्रतिरोध मौन में ही मुखर हो उठता है।

"आँचल की चुप्पी" उनका पहला लघुकथा-संग्रह है, जो आधुनिक भारतीय स्त्री के जीवन की सूक्ष्म परतों को उघाड़ता है — बिना शोर किए, बिना प्रचार के।

वह केवल लेखन तक सीमित नहीं, समाज में संवाद की संस्कृति को पुनर्जीवित करने की कोशिशों में भी सक्रिय हैं।

Book Details

ISBN: 9789774592942
Publisher: Rk Features Pragyanshala
Number of Pages: 114
Dimensions: 5.5"x8.5"
Interior Pages: B&W
Binding: Paperback (Perfect Binding)
Availability: In Stock (Print on Demand)

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