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Pariyon Se Samvaad

बाल काव्य
Priyanka Saurabh
Type: Print Book
Genre: Children
Language: Hindi
Price: ₹250 + shipping
This book ships within India only.
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Description

“परियों से संवाद” एक अनूठा बाल काव्य संग्रह है जिसमें कल्पना, संवेदना और सीख की त्रिवेणी बहती है। इस संग्रह में कुल 60 बाल कविताएँ शामिल हैं, और प्रत्येक कविता केवल 24 पंक्तियों की है — ताकि बच्चों की एकाग्रता बनी रहे और संदेश सरलता से उन तक पहुँच सके।

यह संग्रह बच्चों को:

परियों की दुनिया में ले जाता है

नैतिक मूल्यों को सहज रूप में सिखाता है

कल्पनाशक्ति को प्रोत्साहित करता है

प्रकृति, परिवार, पशु-पक्षियों और आत्मचिंतन से जोड़ता है

इन कविताओं की भाषा सरल, लयात्मक और संवादधर्मी है। यहाँ डर से लड़ने वाली परियाँ हैं, किताबों में बसने वाली दोस्त हैं, नींद की पोटली लेकर उड़ने वाले सपने हैं — और सबसे बड़ी बात यह कि हर कविता बच्चों को कुछ न कुछ सोचने के लिए प्रेरित करती है।

इस संग्रह की विशेषता यह भी है कि प्रत्येक कविता के लिए एक बाल चित्रकार की कल्पना पर आधारित चित्र प्रस्तावित हैं — जो बच्चों के भीतर दृश्य-कल्पना की क्षमता को और मज़बूत करते हैं।

यह संग्रह उनके लिए है:
जो बच्चों को पाठ्यपुस्तकों से हटकर सृजनात्मक सोच देना चाहते हैं

जो चाहते हैं कि उनके बच्चे कविता के माध्यम से नैतिकता और संवेदना सीखें

जो एक ऐसा उपहार देना चाहते हैं जो मन और आत्मा दोनों को छू सके

✨ यह पुस्तक एक पुल है –
कल्पना और यथार्थ के बीच,
बचपन और सीख के बीच,
और सबसे बढ़कर — शब्दों और सपनों के बीच।

About the Author

प्रियंका सौरभ एक संवेदनशील कवयित्री और विचारशील लेखिका हैं, जिनकी लेखनी समाज, प्रकृति और बालमन की परतों को बेहद सरल और सजीव शब्दों में उकेरती है। वे हरियाणा के हिसार ज़िले से हैं और वर्षों से लेखन, पत्रकारिता और सामाजिक चेतना के क्षेत्र में सक्रिय हैं।

उनकी पहचान न केवल स्तंभ लेखन और समसामयिक मुद्दों पर तीक्ष्ण दृष्टिकोण के लिए है, बल्कि बाल साहित्य, विशेषकर बाल कविताओं के प्रति उनके गहरे अनुराग के लिए भी है।

“परियों से संवाद” उनका पहला संपूर्ण बाल काव्य संग्रह है, जो बच्चों की कल्पना, सोच और नैतिकता को साथ लेकर चलता है। इस संग्रह में उन्होंने बच्चों के लिए न केवल कहानियाँ कही हैं, बल्कि उन्हें सोचने, मुस्कुराने और सवाल करने के लिए प्रेरित भी किया है।

प्रियंका का मानना है कि

“बच्चों को अगर कविता के ज़रिए दुनिया समझाई जाए, तो वे पहले अच्छे श्रोता, फिर अच्छे नागरिक बनते हैं।”

उनकी कविताओं में परियों की कल्पना है, मगर ज़मीन की सच्चाई भी है। उन्होंने परीकथाओं को केवल चमत्कारी नहीं, बल्कि संवादात्मक और शिक्षाप्रद रूप में रचा है।

उनकी रचनाएँ विभिन्न राष्ट्रीय पत्र-पत्रिकाओं, पोर्टल्स और मंचों पर प्रकाशित होती रही हैं। वे सामाजिक-सांस्कृतिक विमर्शों में सक्रिय भूमिका निभाते हुए लेखनी को बदलाव का माध्यम मानती हैं।

Book Details

ISBN: 9781450531979
Publisher: Rk Features Pragyanshala
Number of Pages: 101
Dimensions: 5.5"x8.5"
Interior Pages: B&W
Binding: Paperback (Perfect Binding)
Availability: In Stock (Print on Demand)

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