Description
"वक़्त की लहरें" केवल कविताओं का संग्रह नहीं, बल्कि मेरे जीवन की उन अनकही भावनाओं की मौन अभिव्यक्ति है, जो कभी समय की धारा में बह गईं, तो कभी दिल के किसी कोने में स्थायी रूप से बस गईं। यह संग्रह उन लम्हों का दस्तावेज़ है, जो कभी शब्दों में ढल न सके, पर आत्मा ने उन्हें पूरी शिद्दत से जिया।
हर कविता, हर पंक्ति, किसी न किसी एहसास की लहर से जन्मी है, जैसे जीवन के किसी मोड़ पर कोई भाव अचानक दिल से टकरा गया हो। यह संग्रह उन लहरों की गूंज है, जो समय, स्मृति, प्रेम, विरह और आशा के बीच बहती रही हैं।
यह काव्य संग्रह उन सभी पाठकों के लिए है, जो कभी अकेले बैठे वक़्त को निहारते हैं, जो बीते पलों को अपनी पलकों में संजोए हुए हैं, या जो आज भी किसी अधूरी बात को महसूस कर सकते हैं।
राज कुमार “राजू” - एक ऐसा नाम, जो गाँव की मिट्टी से जन्म लेकर संघर्षों की धूप में पका, और फिर तकनीक की ऊँचाइयों तक पहुँचा। बिहार के बाँका ज़िले के एक छोटे से गाँव में जन्मे “राजू” का बचपन खेतों की हरियाली, मिट्टी की सौंधी ख़ुशबू और जीवन की सादगी में बीता। एक किसान परिवार में पले इस बालक ने हिंदी माध्यम से शिक्षा की शुरुआत की, और विषम परिस्थितियों को आत्मबल, संकल्प और श्रम से परास्त करते हुए कंप्यूटर एप्लिकेशन में स्नातक एवं परास्नातक की उपाधियाँ प्राप्त कीं।
आज वे अमेरिका के कैलिफ़ोर्निया में एक प्रतिष्ठित सॉफ्टवेयर कंपनी में एसोसिएट डायरेक्टर के पद पर कार्यरत हैं। परंतु उनकी असली पहचान केवल एक सफल पेशेवर की नहीं, बल्कि एक संवेदनशील कवि, विचारशील लेखक और समाज के प्रति सजग मनुष्य की है।
“राजू” की कविताएँ केवल शब्दों का संकलन नहीं, बल्कि अनुभवों की प्रतिध्वनि हैं, जिनमें गाँव की गलियों की गूंज है, माँ की ममता की महक है, संघर्षों की चुप्पी है, और आत्मा की पुकार है। उनकी लेखनी में समय की लहरों का संगीत, स्मृतियों की छाया, और संवेदनाओं की गहराई है। वे आज भी अपनी भाषा, संस्कृति और परंपराओं से गहराई से जुड़े हुए हैं, और युवाओं को यह सिखा रहे हैं कि सपनों की उड़ान तभी सार्थक होती है जब उसके पंख मिट्टी से जुड़े हों।
Publisher: Raj Kumar "Raju"
Number of Pages: 93
Dimensions: 6.00"x9.00"
Interior Pages: B&W
Binding:
Paperback (Perfect Binding)
Availability:
In Stock (Print on Demand)