You can access the distribution details by navigating to My Print Books(POD) > Distribution
कभी-कभी जीवन का सबसे बड़ा सत्य हमारी आँखों के सामने खड़ा होता है, और हम उसे पहचान ही नहीं पाते। हम रिश्तों की भीड़ में खो जाते हैं, आवाज़ों की गूँज में अपने ही घर के भीतर अजनबी हो जाते हैं। पर समय... वह हमेशा गवाह बनकर साथ खड़ा रहता है।
भूले हुए हाथ (Bhule Huye Hath) is a Hindi novel – एक ऐसी किताब है जो परिवार, रिश्तों, और जीवन की गहराइयों को छूती है। यह कहानी केवल घटनाओं का सिलसिला नहीं, बल्कि उन अनकहे सवालों की खोज है जिन्हें हम अक्सर नज़रअंदाज़ कर देते हैं।
इस उपन्यास में एक पिता और उसके बच्चों के बीच के रिश्तों की परतें खुलती हैं – कहीं अपनापन है, कहीं दूरी; कहीं संघर्ष है, तो कहीं मौन की भाषा। लेखक ने सरल शब्दों में जीवन की गहरी सच्चाइयों को उकेरा है, जो पाठक को भीतर तक छू लेती हैं।
यह कहानी सिर्फ़ एक परिवार की नहीं, यह हर उस पिता की कहानी है जिसके हाथों ने अपनी पूरी ज़िन्दगी अपने बच्चों के लिए खेतों में मेहनत की, घर की नींव रखी, सपनों को आकार दिया — और फिर वही हाथ बुढ़ापे में अकेले पड़ गए। यह कहानी उन हाथों की है जो अनगिनत रातें चूल्हे की आग सहेजते रहे, जो कभी अपने बच्चों की छोटी-सी उँगली पकड़कर उन्हें चलना सिखाते थे, और जिन हाथों की लकीरों में केवल दूसरों के सुख लिखे थे।
“भूले हुए हाथ” हमें याद दिलाती है कि जीवन की सबसे बड़ी विरासत ज़मीन-जायदाद नहीं, बल्कि वह ममत्व और त्याग है, जिसे समय के साथ अक्सर भुला दिया जाता है। यह कथा बताती है कि कैसे प्यार के बीज बोने वाला वृक्ष जब बूढ़ा होता है, तो उसकी छाँव में खड़े लोग उसे भूल जाते हैं।
परंतु, यह केवल दर्द की कहानी नहीं है। यह आध्यात्मिक यात्रा भी है — उस सत्य की ओर, जहाँ इंसान समझता है कि रिश्तों का असली आधार बाहरी चमक या दिखावा नहीं, बल्कि भीतर की निष्ठा और कृतज्ञता है। यहाँ हर दृश्य हमें यह सोचने पर विवश करता है कि हम अपने ही घर में कितनी बार मौन गवाह बने रहते हैं, कितनी बार सच को देखकर भी आँखें मूँद लेते हैं।
ब्रह्मदत्त का जीवन हमें सिखाता है कि संसार का सबसे गहरा दुःख अकेलापन नहीं, बल्कि वह क्षण है जब अपने ही बच्चे माँ-बाप की आँखों में झूठे इल्ज़ाम छोड़ जाते हैं। और फिर भी, एक पिता का हृदय श्राप नहीं देता — वह अंत तक आशीर्वाद की तरह मौन ही रह जाता है।
इस पुस्तक को पढ़ते हुए आप पाएँगे कि यह सिर्फ़ एक बुज़ुर्ग किसान की कथा नहीं, बल्कि यह आपके अपने घर की, आपकी अपनी आत्मा की कथा है। हर अध्याय एक दर्पण है — जिसमें हम अपने अतीत, वर्तमान और भविष्य की झलक देख सकते हैं।
हो सकता है कि कहीं-कहीं यह कथा आपको चुभे, और कहीं आपको यह सोचने पर मजबूर कर दे कि आखिरकार रिश्तों की असली कीमत क्या है। और शायद, यही इस कहानी का उद्देश्य है —
कि जब हम इसे बंद करें, तो हमारे भीतर यह संकल्प जागे कि हम अपने “भूले हुए हाथों” को फिर से थाम लें।
"दिल को छू लेने वाली कहानी"
"भूले हुए हाथ" सिर्फ़ एक कहानी नहीं, बल्कि जीवन के उन पहलुओं का आईना है जिन्हें हम अक्सर अनदेखा कर देते हैं। लेखक ने बेहद संवेदनशील और भावनात्मक अंदाज़ में परिवार, रिश्तों और मानवीय मूल्यों को शब्द दिए हैं।
पुस्तक में साधारण जीवन की जटिलताएँ इतनी सहजता से बुनी गई हैं कि पाठक खुद को घटनाओं में शामिल महसूस करता है। इसमें गहराई, आध्यात्मिकता और सादगी—तीनों का सुंदर संतुलन है।
लेखक की सबसे बड़ी ताक़त उनकी लेखन शैली है—काव्यात्मक, यथार्थपूर्ण और हृदयस्पर्शी। पढ़ते-पढ़ते कहीं आँसू रुकते नहीं और कहीं मुस्कुराहट अपने आप आ जाती है।
यह किताब हर उस पाठक को पढ़नी चाहिए जो जीवन, परिवार और सच्चाई की तलाश में है।