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यह कविता संग्रह आपके समक्ष प्रस्तुत करते हुए मुझे अत्यंत हर्ष हो रहा है। साहित्य समाज का दर्पण होता है, जो उसके सुख-दुःख, अच्छाइयों और कमियों को प्रतिबिंबित करता है। समाज में घटित घटनाएँ ही साहित्यकार की रचनाओं का आधार बनती हैं। वह अपने विचारों के माध्यम से उन घटनाओं को एक नई दिशा और भाव प्रदान करता है।
हमारा अतीत महान और गौरवशाली रहा है। भारत की सनातन संस्कृति विश्व की सबसे प्राचीन संस्कृतियों में से एक है, जिसने अनेक युगों और परिवर्तनों को देखा है। हमारे ऋषि-मुनियों, महापुरुषों और राजाओं ने इस संस्कृति को समृद्ध बनाया तथा समाज को ज्ञान, सुरक्षा और उन्नति की दिशा दी। वैदिक ग्रंथों और पुराणों में जीवन को व्यवस्थित और उद्देश्यपूर्ण बनाने के गहन संदेश निहित हैं।
वर्तमान में देश की राजनीतिक, धार्मिक और आर्थिक परिस्थितियाँ कई प्रश्न खड़े करती हैं। यह कविता संग्रह इन तीनों कालों—भूत, वर्तमान और भविष्य—की स्थितियों को उजागर करते हुए पाठकों को यथार्थ से परिचित कराता है। मुझे पूर्ण विश्वास है कि यह संग्रह आपको आनंद के साथ विचार की गहराई भी प्रदान करेगा।
आपका स्नेहाकांक्षी
राजपाल 'जनकवि'
(सेवानिवृत प्रधानाध्यापक)
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