You can access the distribution details by navigating to My Print Books(POD) > Distribution
यह पुस्तक 58 आत्मीय, कविताओं का एक संग्रह है, जिसे हर दिन बोली जाने वाली हिंदी और उर्दू भाषा में लिखा और पेश किया गया है। यह पुस्तक यह दर्शाती है कि कोई भी आम आदमी रिश्तों की सफलता और असफलता पर प्रतिक्रिया करता है हुए कैसे जटिल भावनाओं को महसूस करता है, प्रक्रिया करता है और व्यक्त करता है। कविताओं का यह संग्रह बहुत तरह की भावनाएं बताता है जो एक आम आदमी महसूस करता है जैसे कि प्यार और दोस्ती; लुभाव और मोह; अपनापन और अकेलापन; साथ और अलगाव; अस्वीकार और स्वीकृति; हताशा और गुस्सा; जुनून और लालसा; सफलताएँ और असफलताएँ; भ्रम और विचार; दिल और दिमाग और अन्य ऐसी शक्तिशाली भावनाएं। इन कविताओं को पहले वर्ष 1990 से 2004 के बीच लिखा गया था, जो लेखक की लडकपन में शुरुआती बीसवें साल की कुछ खास घटनाओं का समय था। पुस्तक एक टाइम-मशीन की तरह है जो किसी को बीस साल बाद अपने भोलेपन वाले समय पर वापस सोचने और उन क्षणों को बार-बार जीने का अवसर देती है। पुस्तक में कविताओं को बारह भागों में पेश किया गया है। ये बारह भाग जीवन के कमजोर समय में अनुभव की गयी बहुआयामी, बहुविध, और जटिल भावनात्मक यात्रा और रिश्तों को संक्षेप में पेश करते हैं। चाहे हमारी उम्र, अनुभव या परिपक्वता कितनी भी क्यों न बढ़ जाये, इस पुस्तक में कविताओं के माध्यम से व्यक्त किए गए ये अद्भुत पल हमेशा हमारे साथ रहते हैं।
This book is a collection of 58 soulful, poetic expressions written and presented in simple day-to-day Hindi with a mixture of Urdu language. The book reflects how any ordinary individual feels, processes and expresses the complex emotions while reacting to success and failures of relationships. This collection of poems narrates a range of emotions a commoner feels such as love & friendship; attraction & infatuations; belongingness & loneliness; togetherness & separation; rejections & acceptances; frustrations & angers; obsessions & passion; successes & failures; confusions and reflections; heart & mind and other powerful emotions. These poems were originally drafted between the year 1990 to 2004 which represented some eventful phases in the author’s adolescence years towards the early twenties. The book is a time-machine that would allow one to reflect back at their innocent times some twenty years later and reliving those moments again and again. The poems in the book are presented in twelve sections. These twelve sections summarize a multidimensional, multimodal, complex emotional journey of life and relationships at the most vulnerable times in life. These vulnerable times, expressed through poems in this book, stay with us forever, no matter how much we grow in age, experience and maturity.
Currently there are no reviews available for this book.
Be the first one to write a review for the book Kuch Kahi Kuch Ankahi Batein - कुछ कही कुछ अनकही बातें.