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एक दिन पति के काम पर और बेटे बेटी के स्कूल जाने के बाद सुबह की भागदौड़ से विराम मिलने पर गीत ने रेडियो एफ एम पर गाने सुनते हुए थोड़ा आराम करने का विचार किया । कुछ दिनों से उसे टीवी से ज्यादा रेडियो पसंद आ रहा था । उसे पुराने गाने अच्छे लगते थे जो रेडियो पर ज्यादा सुनने को मिलते । उसने ड्राइंग रूम में रखे रेडियो पर एक गानों का प्रोग्राम लगाया और वहीं रखे दीवान पर लेट गयी ।
आर जे ने किन्हीं की फरमाइश पर गाना चला दिया -“कई बार यूं ही देखा है , ये जो मन की सीमा रेखा है ; मन तोड़ने लगता है ।
अनजानी चाह के पीछे .........मन दौड़ने लगता है “
ये गाना सुनकर अनायास उसे रुचि के भाई राजेश और अपने पुराने दिनों की याद आ गयी ...
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