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प्रेम, संवाद और अधूरी यात्राओं की कहानी
यह उपन्यास सिर्फ़ एक सफ़र नहीं, उन पलों की स्मृति है जिन्हें हम रोज़मर्रा की भागदौड़ में खो देते हैं।
एक पति-पत्नी की धीमी, सच्ची बातचीत के बहाने, कहानी रिश्तों की नमी,
अनकहे प्रेम और छोटे-छोटे सपनों की गरमाहट को छूती है।
भीड़भाड़ वाले बस स्टैंड से स्मृतियों से भरे बस अड्डे तक का आत्मीय सफ़र
रुक-रुक कर चलती बातचीत में रिश्तों की नई परतें
छोटी-छोटी बातों में छुपे बड़े अर्थ और अधूरी इच्छाएँ
संवेदी, मद्धिम और गहरे एहसासों से भरी भाषा में लिखा गया यह उपन्यास
आपको अपने ही संवादों, वादों और यादों तक लौटने का निमंत्रण देता है।
लेखक: रितेश मौर्य
यदि आपको सादगी में छिपी मार्मिकता, धीमी गति की कथाएँ और
संवादों से खुलते रिश्ते पसंद हैं—तो “बस स्टैंड से बस अड्डे तक” आपको भीतर तक छू जाएगा।
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