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आधुनिक विज्ञान इस विषय पर ये कहता है कि ब्रह्मांड में एक शक्ति है (A Power Universal)। ये शक्ति पदार्थ के अंदर ही है। जो अपने डोमेन (Domain) या आश्रय, जो एक वस्तु होती है, के अंदर है। ये शक्ति, उस अस्तित्व की अपनी वर्तमान स्थिति (या अपनी गति की अवस्था) में किसी भी परिवर्तन (ब्रह्मांडीय परिवर्तन) का विरोध करती है। आधुनिक विज्ञान, इस शक्ति को "जड़ता" (Inertia) कहता है। और ये कहता है कि इस शक्ति का स्रोत हर भौतिक अस्तित्व के अंदर है। लेकिन भौतिक अस्तित्व की इस शक्ति का स्रोत, ब्रह्मांड में कहीं और है। पर, मैट्रिक्स की शक्ति (Power of The Matrix), एक ही वस्तु के अंदर केंद्रित है। और वह वस्तु है "पर्यवेक्षक" (Observer), यानि कि "आप"। इसलिए,
“आप इस प्रकृति में जो कुछ भी निरीक्षण करते हैं। या जो कुछ भी देखते हैं। वो सिर्फ़ और सिर्फ़ इसलिए देखते हैं कि आप को अनुमति है, उसे देखने की [जैसे मानव इंद्रियाँ जैसे कि देखना, या स्पर्श करना, (Human Senses like Human Vision or Human Touch)। ये सब की सब, कुछ नहीं बस सीमायें (Absolute Limits) हैं। जिनसे आगे जाने की, मनुष्य को अनुमति नहीं है।”
ये “मैट्रिक्स” इस ब्रह्मांड में इतना शक्तिशाली है कि अंतरिक्ष में 90 अरब प्रकाश वर्ष (दिखाई दे सकने वाले ब्रह्मांड का विस्तार) से लेकर 10-32 सेमी (एक परमाणु से कई गुना छोटी दूरी या प्लैंक लंबाई) तक के अंतरिक्ष-अंतराल (Space Interval) के अंदर। और समय में 13.7 अरब वर्ष (ब्रह्मांड की आयु) से लेकर 10-44 सेकंड (या प्लैंक समय) तक के समय-अंतराल (Time Interval) में, कोई भी असली चाल चले बिना, ये स्रष्टी कर देता है,
“कणों के अंदर कणों की।”
[Particles within the Particles]
और
“संरचनाओं के अंदर संरचनाओं की।”
[Structures within the Structures]
और
“अराजकता के अंदर अराजकता की।”
[Chaos within the Chaos]
और
“संसारों के अंदर संसारों की।”
[Worlds within the Worlds]
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