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यह कविताएँ कभी आप के कंधे पकड़ कर आप को झकझोरेंगी, कभी एक सम्वेदनशील मित्र बन कर आप के साथ दिन भर टहलेंगी, कभी शहर के सिरे को हल्के से उठाएँगी, कभी एक बादल बन कर आप के घर के ऊपर मँडराएँगी, और कभी एक रोशनी की किरण बन जाएँगी जो दूर एक सितारे से चल कर एक प्रश्न पूछना चाहती है।
Re: य र ल व श स ह
राजस्थान पत्रिका, सोमवार, 20 अगस्त, 2018, जयपुर
कविता संग्रह ‘य र ल व श स ह’ के लेखक सलिल चतुर्वेदी हिंदी-अंगेज़ी लेखन में अपना सुनिश्चित कोना बना चुके हैं और...