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“उसने लिखा, मैंने देर से पढ़ा”
एक ऐसी प्रेम कहानी है जो शब्दों से ज़्यादा ख़ामोशी में कही गई है।
यह कहानी Aarav और Meher की है—
दो ऐसे लोगों की, जो एक-दूसरे के क़रीब होते हुए भी
अपने जज़्बात कह नहीं पाते।
कैफ़े की खिड़की, बिना चीनी की कॉफ़ी,
बारिश, इंतज़ार और अधूरे संदेश—
इस किताब के हर पन्ने में
वो प्रेम बसता है
जो कभी माँगा नहीं गया,
पर पूरी ज़िंदगी दिया गया।
यह किताब उनके लिए है—
• जो महसूस ज़्यादा करते हैं, कहते कम हैं
• जो किसी के जीवन में चुपचाप सब कुछ बन जाते हैं
• और जिन्हें समझने में कभी देर हो जाती है
यह तेज़ पढ़ने की किताब नहीं है।
यह रुककर महसूस करने की किताब है।
अगर किसी पंक्ति पर आपका दिल रुक जाए—
तो समझिए,
यह कहानी कहीं न कहीं आपकी भी है।
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