You can access the distribution details by navigating to My Print Books(POD) > Distribution
यह कहानी है सत्या की, जो NDA परीक्षा में असफल होने के बाद, अपने परिवार और समाज की उम्मीदों के बोझ तले दम घुटने लगता है। उसके पिता उसे अफसर या बैंकर बनाना चाहते हैं, पर सत्या के दिल में कविता, लेखन और एडवेंचर बाइक पर यात्रा के सपने पलते हैं।
जब उम्मीदों का दबाव असहनीय हो जाता है, तो सत्या आत्महत्या के विचारों से जूझने के बजाय, एक बड़ा फैसला लेता है: वह अपने सपनों को खोजने के लिए घर से भाग जाता है।
हिमाचल के पहाड़ों में, एक सोलो राइडर कबीर से मिलकर, सत्या सीखता है कि जीवन किसी परीक्षा से बहुत बड़ा है। वह समझता है कि उसका असली फेलियर 'फेल' होना नहीं, बल्कि किसी और की ज़िंदगी जीना होता।
यह किताब तनाव, मानसिक स्वास्थ्य और आत्म-खोज की यात्रा है। जानिए कैसे सत्या पहाड़ों से नई रोशनी लेकर लौटता है, अपने पिता से कहता है कि वह 'वो नहीं बन पाया जो आप चाहते थे,' और कैसे वह एक सफल ट्रैवल राइटर बनकर अपनी सपनों की बाइक पर पतरातु की सड़कों पर अपनी पहचान बनाता है।
यह उन सभी के लिए है, जो हार मानने के बजाय, अपने बनाए रास्ते पर चलने का साहस करते हैं।
Currently there are no reviews available for this book.
Be the first one to write a review for the book पापा,मै वैसा नहीं हूं।.