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“चिंता कबहु न कीजियो, चिंता से दुःख होय।
जग में ऐसा कौन है, जिसको बस सुख होय।”
शोर-शोर चारों ओर केवल शोर ही शोर है। जीवन के इस भाग-दौड़ में हम नजरें उठाकर जिधर देखते हैं केवल शोर है परन्तु यह शोर जितना बाहरी नहीं है उससे ज्यादा आंतरिक है। आंतरिक अर्थात हमारे मन का शोर। मन के भीतर विचारों का शोर और अगर ये विचार नकारात्मक हैं तो वे केवल दुःख और उदासी का कारण बनते हैं। इस शोर की आवाज इतनी तीव्र होती है कि यह हमें केवल मौन और अकेलेपन के रास्ते पर ले जाती है।
यह एक मोटिवेशनल सेल्फ हेल्प बुक है जिसका उद्देश्य लोगों को एक तनाव रहित प्रसन्न जीवन प्रदान करने की कोशिश करना है।
इस पुस्तक में तनाव क्या है, तनाव के कारण, तनाव के लक्षण, तनाव का जीवन पर प्रभाव और तनाव दूर करने के अनेक अचूक उपाय बताए गए हैं ।
शालिनी श्रीवास्तव 'जागृति'
मो. नं. 6387743095
ईमेल - jagritisri.09@gmail.com
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