You can access the distribution details by navigating to My Print Books(POD) > Distribution
Also Available As
₹ 51
₹ 51
कहते हैं " जहाँ न पहुंचे रवि, वहां पहुंचे कवि"।
मैं पहुंचा हूँ या नहीं, ये तो पाठकगण बताएँगे ।
पर सोशल मीडिया पर मेरी कविताओं को अद्भुत सराहना मिली है, जिसके लिए मैं अपने पाठकगणों का आभारी हूँ।
कुछ पाठकगणों ने मेरी कविताओं की तुलना गुलज़ार जी की कविताओं से की है मैं उनका भी आभारी हूँ ।
मेरी कवितायेँ यदि किसी एक व्यक्ति के मन को भी छू गई हों तो मैं स्वयं को धन्य मानूंगा ।
Kehte hain " Jahan Na pahunche Ravi, vahan pahunche kavi"
Main pahuncha hoon ya nahin, ye to Pathak gan batayenge.
Par social media par meri kavitaon ko adbhut sarahna mili hai, jiske liye main apne Pathak ganon ka abhari hoon.
Kuch Pathak ganon ne meri kavitaon ki tulna Gulzar ji ki kavitaon as ki hai. Main unka bhi abhari hoon.
Meri kavitayen yadi kisi ek vyakti ke man ko bhi choo gai hon to main swayam ko dhany manoonga.
Re: उदगार
नमस्कार मित्रो,
मैं, सुभाष सहगल, इस काव्य संग्रह का लेखक हूँ।
पाठकगण से अनुरोध है कि पुस्तक का आनंद उठाने के पश्चात अपनी भाव्याव्यक्ति अवश्य करें।