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आपके आस पास यदि अनान्य हो रहा हो और वह अन्याय आपकी कविताओं में ना दर्शाया जाये तो आपके कवि होने पर धिक्कार है।
यदि आप अपने आस पास हो रही घटनाओं/दुर्घटनाओं से प्रभावित नहीं होते तो आप कवि नहीं हैं ।
ये कैसे संभव है कि आपके आस पास असामाजिक तत्व अराजकता फैला रहे हों, नारिओं का शोषण हो रहा हो, वरिष्ठ नागरिकों के साथ अन्याय हो रहा हो या अन्य किसी भी प्रकार की राष्ट्रविरोधी गतिविधयां हो रही हों और आप चुप रहें, अपनी आँखें दूसरी ओर घुमा लें ?
हां, जीवन के अन्य रंगों के सम्मिश्रण भी आपकी कविताओं में समावेशित होने आवश्यक हैं ।
मेरा प्रयास भी कुछ ऐसा ही रहता है। मेरी कवितायेँ समाज,राष्ट्र,मानवता एवं देशप्रेम के साथ साथ प्रेम प्रसंग एवं हास्य से भी ओतप्रोत होती हैं।
"गीतिका" मेरा तेरहँवा काव्य संकलन है। गीतिका का अर्थ छोटी काव्य रचना /कविता है।
आशा करता हूं कि हमेशा की भांति , इस बार भी मेरे इस प्रयास को आपकी सराहना मिलेगी ।
इसी आशा के साथ,
आपका अपना,
सुभाष सहगल
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