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कहते हैं " जहाँ न पहुंचे रवि, वहां पहुंचे कवि"।
मैं पहुंचा हूँ या नहीं, ये तो पाठकगण बताएँगे ।
पर सोशल मीडिया पर मेरी कविताओं को अद्भुत सराहना मिली है, जिसके लिए मैं अपने पाठकगणों का आभारी हूँ।
कुछ पाठकगणों ने मेरी कविताओं की तुलना गुलज़ार जी की कविताओं से की है मैं उनका भी आभारी हूँ ।
मेरी कवितायेँ यदि किसी एक व्यक्ति के मन को भी छू गई हों तो मैं स्वयं को धन्य मानूंगा ।
Re: टहनियां
"टहनियां",हिंदी कविताओं का संग्रह है जो कि परम पूज्यनीय श्री अटल बिहारी वाजपेयी जी को समर्पित है
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mirror to today's socio political system.Each poem says about what is happening around...