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**पुस्तक का नाम:**
**अम्बेडकर: एक यात्रा आत्म-सम्मान की**
जिसने समाज को जगाया, और हर इंसान को अपनी पहचान दिलाई।
यह किताब सिर्फ एक व्यक्ति की कहानी नहीं है — यह करोड़ों दबे-कुचले लोगों की आत्मा की आवाज़ है।
डॉ. भीमराव अंबेडकर** — एक नाम नहीं, एक आंदोलन।
उन्होंने न सिर्फ संविधान लिखा, बल्कि हर उस इंसान के दिल में आत्म-सम्मान की लौ जला दी, जिसे सदियों से दबाया गया था।
यह पुस्तक उनके संघर्ष, दर्शन, शिक्षा की ताकत और सामाजिक न्याय की गहराई को आज की युवा पीढ़ी से जोड़त
**इस पुस्तक में आप पाएँगे:**
* डॉ. अंबेडकर के जीवन की संघर्षपूर्ण घटनाएं
* जातिवाद, भेदभाव और गुलामी से लड़ने की हिम्मत
* शिक्षा, संविधान और समानता की सच्ची शक्ति
* आज के भारत के लिए उनका संदेश और चेतावनी
* युवाओं के लिए आत्म-सम्मान और नेतृत्व का रास्ता
**क्यों पढ़ें यह किताब?**
यदि आप:
* अपने अस्तित्व और आत्म-सम्मान के लिए संघर्ष कर रहे हैं,
* समाज को बदलना चाहते हैं,
* या एक ऐसा भारत देखना चाहते हैं जहाँ हर कोई बराबरी से जी सके...
...तो यह किताब आपके लिए है।
**पुस्तक की भाषा और शैली:**
सरल हिंदी + भावनात्मक और प्रेरणादायक शैली में लिखी गई यह किताब हर वर्ग, हर उम्र और हर सोच के पाठकों को छू जाएगी।
**लेखक: सुमित कुमार**
एक युवा विचारक, जिनका मकसद है – भारत के हर युवा में आत्म-सम्मान, सोच और जागरूकता की चिंगारी पैदा करना।
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