You can access the distribution details by navigating to My Print Books(POD) > Distribution
Philosophical Foundation of Education लेखक Sunil Kumar द्वारा लिखित एक व्यापक एवं गहन अध्ययन है, जो शिक्षा के दार्शनिक आधारों को सरल, स्पष्ट और व्यवस्थित रूप में प्रस्तुत करता है। इस पुस्तक में शिक्षा के प्रमुख दार्शनिक दृष्टिकोण — आदर्शवाद (Idealism), यथार्थवाद (Realism), प्राकृतिकवाद (Naturalism), प्रगमतवाद (Pragmatism), अस्तित्ववाद (Existentialism) आदि — का विस्तार से वर्णन किया गया है, साथ ही यह भी बताया गया है कि ये दर्शन शिक्षा के उद्देश्य, पाठ्यक्रम, शिक्षण पद्धति और मूल्य-निर्माण में कैसे योगदान देते हैं। लेखक ने शिक्षा को केवल ज्ञानार्जन का साधन न मानकर, व्यक्ति के सर्वांगीण विकास, सामाजिक उत्तरदायित्व, नैतिक मूल्यों और सृजनात्मक क्षमता के संवर्धन का माध्यम बताया है। पुस्तक में शिक्षा और दर्शन के पारस्परिक संबंध (Interrelation between Philosophy and Education) को स्पष्ट उदाहरणों और व्यावहारिक दृष्टिकोण के साथ समझाया गया है, जिससे पाठक यह जान सके कि शिक्षा किसी भी समाज की वैचारिक दिशा और सांस्कृतिक संरचना को कैसे प्रभावित करती है। यह पुस्तक B.Ed., M.Ed., B.A. (Education), M.A. (Education) के विद्यार्थियों, शिक्षक-प्रशिक्षुओं, शिक्षाशास्त्र के शोधकर्ताओं और प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी कर रहे अभ्यर्थियों के लिए अत्यंत उपयोगी है। इसमें शैक्षिक दार्शनिकों के विचारों को सटीक भाषा में, अध्यायवार रूप से प्रस्तुत किया गया है, जिससे अध्ययन सरल और रोचक बनता है। लेखक Sunil Kumar का लेखन शिक्षाशास्त्रीय गंभीरता के साथ-साथ सहज पठनीयता का उदाहरण है। उनकी यह कृति उन सभी के लिए अनिवार्य है जो शिक्षा के सैद्धांतिक आधार को समझकर उसे व्यवहार में लागू करना चाहते हैं। यदि आप शिक्षा की गहरी जड़ों को समझना चाहते हैं और जानना चाहते हैं कि दर्शन कैसे शिक्षा को आकार देता है, तो यह पुस्तक आपके लिए एक मूल्यवान संसाधन सिद्ध होगी।
शिक्षा और दर्शन को समझने के लिए एक बेहतरीन मार्गदर्शक।
Philosophical Foundation of Education शिक्षा और दर्शन के गहरे संबंध को सरल और स्पष्ट भाषा में प्रस्तुत करती है। Sunil Kumar ने आदर्शवाद, यथार्थवाद, प्राकृतिकवाद, प्रगमतवाद आदि दार्शनिक विचारों को शिक्षा के उद्देश्यों, पाठ्यक्रम और शिक्षण पद्धति से जोड़कर व्याख्यायित किया है। यह पुस्तक B.Ed., M.Ed., M.A. (Education) और प्रतियोगी परीक्षाओं के विद्यार्थियों के लिए अत्यंत उपयोगी है। यह न केवल अकादमिक दृष्टि से समृद्ध है बल्कि नैतिक मूल्यों और व्यक्तित्व विकास पर भी जोर देती है।