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"शिक्षा के मुद्दे" एक गंभीर, शोधपरक और समकालीन संदर्भों से जुड़ी कृति है, जो भारतीय शिक्षा व्यवस्था के विभिन्न पहलुओं का गहन अध्ययन प्रस्तुत करती है। यह पुस्तक शिक्षा जगत के उन सभी महत्वपूर्ण मुद्दों को समेटे हुए है, जो न केवल वर्तमान समय में प्रासंगिक हैं, बल्कि भविष्य की शिक्षा नीतियों और दृष्टिकोण को भी दिशा प्रदान कर सकते हैं।
इस पुस्तक में पाठ्यचर्या सुधार, शिक्षक-प्रशिक्षण, गुणवत्ता मूल्यांकन, प्रत्यायन प्रक्रिया, शिक्षा में डिजिटल परिवर्तन, समावेशी शिक्षा, भारतीयकरण की पहलें, और PPP मॉडल जैसे विषयों पर संतुलित व गहन चर्चा की गई है। साथ ही, राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 (NEP 2020) को विशेष महत्व देते हुए, इसके सभी प्रमुख प्रावधानों, संरचना और कार्यान्वयन की चुनौतियों का विस्तृत विश्लेषण किया गया है।
पुस्तक में ऐतिहासिक दृष्टि से लेकर वर्तमान नीतिगत बदलावों तक की यात्रा को सरल भाषा और द्विभाषिक (हिंदी-अंग्रेज़ी शब्दावली) शैली में प्रस्तुत किया गया है। इसमें शिक्षा से जुड़े प्रमुख आयोगों (जैसे कोठारी आयोग, मुदालियर आयोग, राधाकृष्णन आयोग, यशपाल समिति आदि) की सिफारिशों को संदर्भ सहित शामिल किया गया है, जिससे पाठक शिक्षा व्यवस्था के विकास और सुधार की प्रक्रिया को गहराई से समझ पाएं।
पुस्तक की विशेषताएँ
समसामयिक शैक्षिक मुद्दों का आलोचनात्मक और विश्लेषणात्मक अध्ययन
NEP 2020 के सभी प्रमुख पहलुओं की स्पष्ट व्याख्या
शिक्षा में गुणवत्ता, नवाचार और तकनीकी एकीकरण पर फोकस
केस स्टडी, डेटा चार्ट, ग्राफ और उदाहरणों के साथ तथ्यपरक प्रस्तुति
प्रतियोगी परीक्षाओं (UGC-NET, TET, B.Ed., M.Ed., SET आदि) के विद्यार्थियों के लिए विशेष उपयोगी
प्रत्येक अध्याय के अंत में सारांश और पुनरावलोकन प्रश्न
यह पुस्तक विद्यार्थियों, शोधार्थियों, शिक्षक-प्रशिक्षकों, शिक्षाविदों और नीति-निर्माताओं के लिए एक मार्गदर्शक की तरह है। चाहे आप एक शिक्षक हों, शिक्षा के शोधकर्ता हों या फिर शिक्षा के क्षेत्र में कार्यरत कोई नीति-निर्माता — यह कृति आपको भारतीय शिक्षा की चुनौतियों, संभावनाओं और सुधार के रास्तों की एक स्पष्ट और व्यापक समझ प्रदान करेगी।
भारतीय शिक्षा के सभी पहलुओं को समेटती एक महत्वपूर्ण कृति
"शिक्षा के मुद्दे" पुस्तक भारतीय शिक्षा व्यवस्था के विविध आयामों को गहराई से समझने के लिए एक उत्कृष्ट कृति है। इसमें राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020, गुणवत्ता मूल्यांकन, पाठ्यचर्या सुधार, डिजिटल शिक्षा, शिक्षक-प्रशिक्षण, समावेशी शिक्षा और भारतीयकरण जैसी समकालीन चुनौतियों पर अत्यंत सरल और स्पष्ट भाषा में चर्चा की गई है।
लेखक ने तथ्यों, केस स्टडी और नवीनतम शैक्षिक रिपोर्टों का सहारा लेकर विषयों को प्रमाणिक और शोधपरक बनाया है। द्विभाषिक (हिंदी–अंग्रेज़ी) प्रस्तुति के कारण यह पुस्तक न केवल शोधार्थियों और शिक्षकों के लिए बल्कि UGC-NET, TET, B.Ed., M.Ed. जैसे प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी करने वालों के लिए भी अत्यंत उपयोगी है।
यह पुस्तक शिक्षा के सिद्धांत और व्यवहार, दोनों में समान रूप से गहराई प्रदान करती है और पाठकों को एक व्यापक दृष्टिकोण देती है।