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“शफ़क़ गुलाली" पुस्तक मेरा दूसरा ग़ज़ल संग्रह है। शफ़क़ गुलाली का अर्थ है क्षितिज पर की लालिमा जिसका प्रयोग यहां पर उम्मीद के रूपक के रूपमें किया गया है। इस पुस्तक में मन को प्रभावित करने वाली परिस्थितियों, बिंबों और पहलुओं पर ग़ज़ल और नज्में लिखने की कोशिश की गई है। कोरोना काल ने हम सभी को झकझोर कर रख दिया था। कुछ गज़लें उस दौर की भी लिखी हुई हैं।उम्मीद है कि सभी उम्रवय के व्यक्तियों को ध्यान में रखकर लिखी गई ये रचनाएं सभी पाठकों को पसंद आएंगी।
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