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Unsung: Letter to My Father | Compiled by Supriya Jain
हर शब्द में एक सिसकी, हर पंक्ति में एक श्रद्धांजलि...
"Unsung: Letter to My Father" एक दिल को छू जाने वाली एंथोलॉजी है, जिसमें बेटों-बेटियों ने अपने पिताओं के नाम अनकहे भावनाओं से भरे पत्र लिखे हैं। यह पुस्तक उन नायकों को समर्पित है जो अक्सर पर्दे के पीछे रहकर हमें संबल, संस्कार और सपनों की उड़ान देते हैं—हमारे पापा।
किसी के पापा अब भी साथ हैं, किसी के बस यादों में; किसी के पास कहने को शब्द नहीं थे, किसी के पास समय नहीं बचा था। इस किताब में वे सभी आवाज़ें शामिल हैं जो अब तक दिल में दबी हुई थीं।
Supriya Jain द्वारा संकलित, यह संग्रह एक कोशिश है—बचपन की यादों, पिता की सीख और निस्वार्थ प्रेम को शब्दों में ढालने की।
पढ़ें इसे, महसूस करें इसे, और हो सके तो अपने पापा को एक खत ज़रूर लिखें।
A tribute to all fathers—biological, adoptive, absent, or present—in every language of love.
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