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1950-60 के दशक, बिहार की पृष्ठिभूमि डुमरांव के नजदीकी गांव से उतरती, उभरती और उमड़ती एक विस्तृत स्वतंत्र विचारों में धूल उड़ाती, व्यथा और करुणा कथा का वर्णन। चरित्र, मक्कड़जाल में उलझती, डूबती, तैरती एक स्त्री जानकी की कहानी।
तीन पीढ़ियों की दौड़ती कहानी, गांव, दिल्ली, लंदन और फिर अमेरिका के सैन फ्रांसिस्को - लॉस एंजिल्स के बीच सड़कों पर उतरती एक अमेरिकन लड़की पोला के मार्मिक भाव इस परिवार के पन्ने दर पन्नों में दौड़ते हैं। एक विशाल अम्बर और धरा पर आपकी आत्मा का होगा जल स्नान। ज़मीन को कुरेदती यथार्थ में समाती यह कहानी दृश्य परिदृश्य "यत् भावो तत् भवति" भाव में भिंगोती जाएगी। और तब आपके हृदय में उतरेंगे 'प्रोफेसर सच्चितानंद'
Heart touching book
It describe very relevant event in practical ways. Excellent articulation.