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हल्लौर! रिज़वीया सादात के, 410 वर्ष पुराने एक क़स्बे का नाम हैं, जो पूर्व में थारुओं का गढ़ हुआ करता था और तब यह हिलोरा के नाम से जाना जाता था. हल्लौर वास्तव में एक अलग ही दुनिया हैं, जहाँ की संस्कृति, बोली, रहन - सहन और आबादी से अब जुड़ चुकी आबादियों में कहीं भी देखने का मौका नहीं मिल सका. बचपन से ही जहाँ पर पढाई के प्रति रुझान पाया जाता है, इससे इतर जहाँ सबमे सांस्कृतिक विरासत कूट कूट कर भरी हुई है.
मैंने इस कसबे के लोगों में लालित्य प्रेम, साहित्य के प्रति रुझान, कला के प्रति दीवानापन, तथा प्रत्येक विधा के प्रति निपुणता पाई, कि सोंचना पड़ गया, इसे एक पुस्तक में किस प्रकार सहेज सकूँगा! मेरे लिए यह एक चुनौती समान था. काफी सोचने और समझने के बाद मैंने यह निर्णय लिया कि पुस्तक को अध्याय में बाँटा जाए. इस प्रकार कुल 50 अध्याय तैयार हो गए. मैंने उसमें से कुछ अध्याय को निकाल कर कुल 26 अध्याय को इस पुस्तक में शामिल किया हैं, जिसमे कसबे के हर रंग को कवर करने की कोशिश की गयी है.
चूँकि इस ग्राम में लगभग 175 वर्षों पूर्व से ही अग्रहरी व गुप्ता समाज सैयादों के साथ साथ रहा है, अत: सांस्कृतिक विरासत का आदान प्रदान भी आपस में होता रहा है. इस सत्य को इस पुस्तक के कई अध्याय में उकेरने की कोशिश की गयी है.
मेरी हसरत है, आने वाली नस्ले, इस पुस्तक के माध्यम से स्वम, समाज, और आपसी भाईचारे को दृष्टीगत रखते हुए अपने कलम के पैनेपन से उन्हें नए संबल प्रदान करें और उन बुलंदियों को छुने का प्रयास करें, जिसकी कल्पना मैंने कर रखी है अपनी मस्तिक में, या यूँ कहें जिन बुलंदियों को छुने में मैं नाकाम रह गया हूँ.
सुल्तान अहमद रिज़वी (भाईजान)
Dear Sultan Ahmad Rizvi (Bhaijaan) I am glad to see your most awaited book Hallaur Itihaas ke Ayine me it is very good initiative taken by you. It must be appreciated by all India. I am impressed with you and your initiative. People who are living in metro as well as Villages both are become happy to read this book.
Re: हल्लौर "इतिहास के आईने में"
Greatly appreciated..Had gone through the entire content,captivating right from the first page, really great collection.... Mind blowing !!! already suggested this book on to friends, am sure they will enjoy dipping in and out of it. Recommended for someone who hasn't got the time to fully immerse themselves to go in detail. Its debrief but a complete book.... Rated 4.5 stars!!!!
Kind Regards
Syed Abbas Shabbir Rizvi