Description
"टूटा तो बहुत, पर रुका नहीं" एक ऐसे युवा की सच्ची आवाज़ है, जिसने ज़िंदगी के सबसे कठिन मोड़ों पर भी हार नहीं मानी।
यह किताब एक छात्र की कहानी है — जो NEET की तैयारी करते हुए बार-बार टूटा, थका, गिरा… लेकिन फिर भी हर बार उठा, और चलता रहा।
यह सिर्फ़ शब्दों का संग्रह नहीं, बल्कि एक ज़िद है —
जो हर उस इंसान को समर्पित है जो अपने सपनों को लेकर गंभीर है, लेकिन रास्ते में संघर्ष से जूझ रहा है।
इस किताब में दर्द है, हौसला है, और उम्मीद की एक रोशनी है —
जो हर छात्र, हर सपने देखने वाले, और हर टूटे हुए दिल को फिर से जुड़ने की ताकत देगी।
अगर तू भी कभी टूटा है —
तो ये किताब तुझे फिर से जोड़ देगी।
विकाश चौहान, मध्यप्रदेश के शाजापुर जिले से आने वाले एक साधारण परिवार के बेटे हैं, जिनकी सोच असाधारण है।
उन्होंने अपनी पढ़ाई सरकारी स्कूल से की और बिना किसी विशेष सुविधा के NEET जैसी कठिन परीक्षा की तैयारी की।
संघर्ष, अकेलापन, टूटी हुई उम्मीदें और सीमित संसाधनों के बावजूद, उन्होंने कभी हार नहीं मानी।
“टूटा तो बहुत, पर रुका नहीं” उनकी पहली किताब है, जो उन्होंने हर उस छात्र को समर्पित की है जो खुद को कभी अकेला या कमजोर महसूस करता है।
विकाश मानते हैं —
"अगर मेरी ज़िद किसी एक इंसान को हिम्मत दे सके, तो मेरी हार भी मेरी जीत बन जाएगी।"
आज वे सिर्फ एक छात्र नहीं, बल्कि लाखों युवाओं के लिए एक प्रेरणा बनना चाहते हैं।
Publisher: Vikash chouhan
Number of Pages: 56
Dimensions: 5.5"x8.5"
Interior Pages: B&W
Binding:
Paperback (Perfect Binding)
Availability:
In Stock (Print on Demand)
amazing book
A deeply moving story of pain, perseverance, and purpose. Vikash Chouhan's ‘Tuta To Bahut, Par Ruka Nahi...’ is not just a book, but the heartbeat of every dreamer who refused to give up. Honest, raw, and full of hope — this book will stay with you long after you turn the last page.”