परस्तिश' [ पूजा ] और 'संगम' के शायर हैं विलास पंडित. साहित्य की गहराइयों और ज़िंदगी के अनुभवों को बेहद आसान लफ़्ज़ों में बयान करनेवाले शायर ! मध्य प्रदेश के अदबी शहर ग्वालियर में २५ जुलाई १९६६ को जन्मे विलास पंडित ग्वालियर संगीत घराने से हैं, पद्मभूषण पंडित कृष्ण राव शंकर पंडित, एल.के .पंडित, और आज के दौर में भारतीय शास्त्रीय संगीत की उत्कृष्ट और मशहूर गायिका मीता पंडित ने संगीत के ज़रिये अपनी विशेष पहचान पूरे विश्व में क़ायम की, उसी खानदान के विलास ने साहित्य की और अपना क़दम बढाया और केवल १८ साल की अवस्था में अपने लेखन और शायरी के माध्यम से इन्होने ग्वालियर के अदबी माहौल में अपनी पहचान बना ली.
इनकी पहली किताब परस्तिश [पूजा ] १९९४ में प्रकशित हुई, जिसका विमोचन विख्यात सरोद वादक उस्ताद अमजद अली खां ने किया...इसके कुछ साल बाद ही १९९८ में दूसरी पुस्तक, जिसमें ग्वालियर के उस्ताद शायर जनाब जां निसार अख्तर, निदा फाजली, नसीम रिफ़अत, और कई नामचीन शायरों के साथ- साथ विलास की भी रचनाएं शामिल की गईं.
अपनी नौ-उम्री के दौर में ही विलास आकाशवाणी और मुशायरों में सक्रिय हो गए...एक लम्बे अंतराल के बाद इस 'मुसाफ़िर' [ इनका शायरी का उपनाम ] का तीसरा संकलन "तसव्वुर" The imagination के नाम से हमारे बीच आ रहा है. ऐसी आशा है कि यह प्रकाशन अपनी खूबियों के कारण न केवल साहित्य जगत में अपनी खास पहचान बनाने में कामयाब होगा, बल्कि ग़ज़ल के पाठकों और श्रोताओं में भी अपनी ख़ास पहचान बनने में कामयाब होगा.
विलास हिन्दुस्तान के कई मशहूर ग़ज़ल गायकों जैसे तलत अज़ीज़,चन्दन दास,पीनाज़ मसानी,रूप कुमार राठोड, घनशाम वासवानी, हरिहरन राजेंद्र नीना मेहता, वत्सला मेहरा आदि के दिलों में अपनी जगह बना चुके है, गाहे ब गाहे ये सभी फ़नकार विलास की ग़ज़लों को अपनी आवाज़ दे चुके हैं..प्रसिद्ध पार्श्व गायक अनवर अपने ग़ज़ल एल्बम 'तोहफा' में इनकी तीन ग़ज़लों को शामिल कर चुके हैं. .हाल ही में प्रसिद्ध गायक व कम्पोज़र शिषिर पारखी ने भी अपने एल्बम 'रूमानियत' में इनके गीत को शामिल किया है. कई उभरते एवं प्रतिभाशाली गायक जैसे मोहम्मद वकील, माधव मीत, रुनित आर्य, निशांत अक्षर, मकरंद भागवत जैसे कई फ़नकार विलास की ग़ज़लों को बेहद पसंद करते हैं, पूरा यकीन है कि ये सिलसिला यूँ ही बढ़ता ही जायेगा. कुछ दिनों पहले ही प्रसिद्ध समाजसेवी अन्ना हजारे को समर्पित एक गीत 'अन्ना हजारे, मसीहा हमारे' गायक रुनित आर्य ने स्वरबद्ध किया और जिसकी विडियोग्राफी ऋचा सेहरा ने की. सोशल नेट्वर्किंग मीडिया -- यु ट्यूब, और फेसबुक पर बेहद पसंद किया गया.
विलास पंडित केवल साहित्यकार नहीं, बेहद ज़हीन इंसान हैं. सरल, संजीदा, साफ़ दिल, बेबाक और बेख़ौफ़. वे जो सोचते हैं, वही बोलते हैं और जो बोलते हैं, वही करते हैं. साहित्य की दुनिया से आगे भी उनकी सेवा का कार्य चलता है, बिलकुल चुपचाप; जैसे कोई परमाणु बिजलीघर कार्य करता है, वे भी कार्य करते रहते हैं.
शिक्षा और चिकित्सा के क्षेत्र में अपनी सोशल सर्विस आर्गेनाइज़ेशन 'सहजीवन आशादीप फाऊँडेशन" के माध्यम से निराश्रितों, असहाय मरीजों और प्रतिभाशाली और गरीब झुग्गी बस्ती के बच्चों की शिक्षा के लिए सतत कार्य कर रहे हैं..