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Type: Print Book
Genre: Romance, Satire
Language: Hindi
Price: ₹299 + shipping
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Description

'लघुकथा मंजूषा' शृंखला की दूसरी पुस्तक लघुकथा मंजूषा-2 नए प्रयोग के साथ प्रस्तुत की जा रही है। इस प्रयोग के तहत पुस्तक को तीन भागों में बांटा गया है। पहले भाग में, अनुपस्थित लघुकथाकारों की उपस्थित लघुकथाएं रखी गई हैं (अर्थात वे लघुकथाकार, जो अब इस दुनिया में नहीं हैं, किन्तु उनकी लघुकथाएं आज भी उनकी उपस्थिति दर्ज कराने में सक्षम हैं।), ताकि नियमों में उलझने की बजाय लघुकथाकार प्रभावी लघुकथाओं को पढ़कर अपने लेखन की दिशा तय कर सकें।
दूसरे भाग में, समकालीन लघुकथाओं को रखा गया है।
तीसरे भाग में, लघुकथा विधा पर विभिन्न आलेख रखे गए हैं, जिससे नियमों में रुचि रखने वाले अर्थात समीक्षात्मक अथवा आलोचनात्मक पक्ष में रुचि रखने वाले लघुकथाकार इस विधा के तकनीकी पहलुओं से अवगत हो सकें। बेहतर लेखन हेतु आप सभी को शुभकामनाएं!!! आपके सुझावों और प्रतिक्रियाओं का इंतजार रहेगा।

About the Author

'लघुकथा मंजूषा' शृंखला की दूसरी पुस्तक लघुकथा मंजूषा-2 नए प्रयोग के साथ प्रस्तुत की जा रही है। इस प्रयोग के तहत पुस्तक को तीन भागों में बांटा गया है। पहले भाग में, अनुपस्थित लघुकथाकारों की उपस्थित लघुकथाएं रखी गई हैं (अर्थात वे लघुकथाकार, जो अब इस दुनिया में नहीं हैं, किन्तु उनकी लघुकथाएं आज भी उनकी उपस्थिति दर्ज कराने में सक्षम हैं।), ताकि नियमों में उलझने की बजाय लघुकथाकार प्रभावी लघुकथाओं को पढ़कर अपने लेखन की दिशा तय कर सकें।
दूसरे भाग में, समकालीन लघुकथाओं को रखा गया है।
तीसरे भाग में, लघुकथा विधा पर विभिन्न आलेख रखे गए हैं, जिससे नियमों में रुचि रखने वाले अर्थात समीक्षात्मक अथवा आलोचनात्मक पक्ष में रुचि रखने वाले लघुकथाकार इस विधा के तकनीकी पहलुओं से अवगत हो सकें। बेहतर लेखन हेतु आप सभी को शुभकामनाएं!!! आपके सुझावों और प्रतिक्रियाओं का इंतजार रहेगा।

Book Details

ISBN: 9780463500620
Publisher: Virgin Sahityapeeth
Number of Pages: 236
Dimensions: 5.5"x8.5"
Interior Pages: B&W
Binding: Paperback (Perfect Binding)
Availability: In Stock (Print on Demand)

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Laghukatha Manjusha 2

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