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'अनुगूँज' केवल कविताओं की पुस्तक नहीं, बल्कि एक मौन यात्रा की पहली दस्तक है। यह पुस्तक उन भावनाओं, उलझनों और अनकहे सवालों का दर्पण है जिन्हें हम अक्सर अपने भीतर दबाकर चलते हैं।
लेखक युवराज खटीक की यह पहली कृति पाठकों को आत्म-दर्शन की ओर ले जाती है। इसमें प्रेम, वियोग, सामाजिक सचाई और अंतर्मन के द्वंद्व को बहुत ही सरल और संवेदनशील भाषा में उकेरा गया है। जैसा कि लेखक कहते हैं- "बाहर की दुनिया जितनी सरल दिखाई देती है, भीतर की दुनिया उतनी ही गहरी और उलझी होती है।"
यदि आप हिंदी कविता, शायरी और जज़्बातों को पढ़ने का शौक रखते हैं, तो यह पुस्तक आपके लिए है।
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