मैं और मेरा मन
मैं कवि नही हूँ कोई
मैं गीत गाऊँगा ही
मैं चाहता हूं
मोह (भाग-1)
मोहब्बत शायरी
य र ल व श स ह
यदा-कदा
यह उन दिनों की नज्म़ है
याद बन कर रह गए
यादगार हो तुम
यादो रे दिवे
ये मेरी ख़ामोशी
रंग
रंगों की बोली
रूह और आबरू ही:
रेंज
लकड़ी की काठी
लकड़ी की काठी 2
लम्हे
लम्हे(काव्य कोष)
लय: फूल और शूल
लोकतंत्र