प्रसंगवश
समाधान
प्रतिबिम्ब
ठेहा परक मौलाएल गाछ
महराज
जयतु जानकी
स्वप्नलोक
शंखनाद
हम आबि रहल छी
विविध प्रसंग
लजकोटर
मातृभूमि
न्याय की गुहार
ढहैत देबाल
फसाद
संयोग
नमस्तस्यै
बदलि रहल अछि सभकिछु
सीमाक ओहि पार
ठेहा परक मौलायल गाछ