न्याय की गुहार
नाचि रहल छलि वसुधा
राष्ट्र मंदिर
सीमाक ओहि पाार
दीप जरैत रहए
नमस्तस्यै
पटाक्षेप
जयतु जानकी
बीति गेल समय
भोरसँ साँझ धरि
प्रीति कारण सेतु बान्हल
प्रीति कारण सेतु बान्हल Redefining Maithili