नाज़-ए-हिन्द सुभाष
नित नवल सुभाष चन्द्र यादव
मानवी के मनके
मुंडेर पर बैठी कवितायेँ
गीतिका
लम्हों से लिपटी मेरी कविताएं
सपनों की रानी
तिनके
कविताओं के होंठ हिले
दिल की अलमारी से
शब्दों की कड़ाही से
लम्हे(काव्य कोष)
आहट अंतर्मन की
मेरे खेत में कविता उगे
लम्हे
सुन मेरे मून, तू मेरा सुकून
उदगार
श्री रामचरितमानस : रामायण - संक्षिप्त एवं सटीक
चीखती ख़ामोशियाँ
Naz-E-Hind Subhash
जिज्ञासा