Analia
माना की तुम ख्वाब हो
अनुरक्त
याद बन कर रह गए
वक़्त तो लगता है
कभी कभी राहों में
जाने कौन डगर अब ठहरें
काव्यांश जिजीविषा
पल दो पल
उन्मुक्त काव्यांजलि
आज तुम्हारी याद आई
चंद सांसें जिन्दगी
Mehfil
मैं अनजान सफर का राही
It was a cheerful life
THE MAN WHO KILLED EVERYONE
Critical and Creative Thinking in Science
साइंस के डायग्राम
Vigyan: Tarkik aur Rachnatmak Soch
Sher-O-Shayari
SEISMIC
Films and Shows in Bombay - 1931
Films and Shows in Bombay - 1932