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हम सभी के भीतर एक ऐसा कोना होता है जहाँ जीवन की आपाधापी से परे, एक मौन, एक जिज्ञासा और एक खोज लगातार चलती रहती है—अपने असली स्वरूप की, अपने अस्तित्व की, और अपने मन की परतों में छिपे उस सत्य की, जो कभी शब्दों में ढलकर हमें चौंकाता है, तो कभी अनुभूतियों के रूप में हमें भीतर तक झकझोर देता है। मन युग ऐसी ही एक अंतर्यात्रा का दस्तावेज़ है—एक ऐसी यात्रा जिसे शब्दों में पिरोया है डॉक्टरों की दुनिया से निकलकर साहित्य की धरती पर आए एक संवेदनशील और गहन विचारशील लेखक अतुल शर्मा ने।
अतुल शर्मा का जीवन स्वयं एक प्रेरक कथा है—जम्मू-कश्मीर के काठुआ जिले की बिल्लावर तहसील से आने वाला यह युवा, एक एनेस्थीसिया तकनीशियन के रूप में अविग्ना हार्ट सेंटर, जम्मू में चिकित्सा सेवा प्रदान करता है। जहाँ एक ओर वे शारीरिक पीड़ा को कम करने में जुटे हैं, वहीं दूसरी ओर, वे मन की पीड़ा, उलझनों और गहराइयों को शब्दों के माध्यम से स्पर्श कर, एक तरह से 'मन की सर्जरी' भी कर रहे हैं।
मन युग उनकी पहली साहित्यिक कृति है, परंतु इसकी विषयवस्तु, भाषा और विचारों की परिपक्वता यह स्पष्ट कर देती है कि यह लेखन किसी तात्कालिक आवेग का परिणाम नहीं, बल्कि एक लम्बे आत्म-संवाद, अनुभवों और भावनात्मक परिपक्वता की उपज है। यह पुस्तक केवल कविताओं, विचारों या भावों का संग्रह नहीं, बल्कि एक संवादात्मक यात्रा है—लेखक और पाठक के बीच, मन और आत्मा के बीच, और यथार्थ और संवेदना के बीच।
इस कृति में लेखक ने आत्म-ज्ञान, मानवीय संबंध, जीवन के उद्देश्य, समाज के प्रति जागरूकता, और भावनाओं के उतार-चढ़ाव को बड़ी सादगी, संवेदना और गहराई से छूआ है। उनकी भाषा न तो जटिल है, न ही बोझिल—बल्कि वह एक बहती नदी की तरह सरल, स्वच्छ और जीवनदायिनी है, जो हर पाठक को उसकी अपनी स्थिति और अनुभव से जोड़ती है। मन युग की विशेषता यह है कि यह पाठक को केवल विचार देने का कार्य नहीं करती, बल्कि उसे भीतर झाँकने, सोचने और स्वयं से प्रश्न पूछने के लिए प्रेरित करती है।
अतुल शर्मा का मानना है कि शब्द केवल संप्रेषण का साधन नहीं होते—वे चिकित्सा भी हैं। जिस तरह चिकित्सा विज्ञान शरीर के विकारों को ठीक करता है, उसी तरह साहित्य मन के विकारों को। यही विश्वास उनके लेखन में झलकता है—करुणा, संवेदना, आत्मीयता और एक अद्भुत मानवीय दृष्टिकोण। उनके शब्दों में एक सादगी है, जो पाठक के मन में गहराई से उतरती है और धीरे-धीरे वहां अपनी जगह बना लेती है।
मन युग उन लोगों के लिए है, जो जीवन की गहराइयों को केवल जीना ही नहीं, समझना भी चाहते हैं। यह उन पाठकों के लिए है जो साहित्य को केवल मनोरंजन या जानकारी का साधन नहीं, बल्कि अंतरात्मा की आवाज़ मानते हैं। यह पुस्तक एक मित्र की तरह आपके साथ चलेगी—कभी आपकी भावनाओं को नाम देगी, कभी आपके मौन को आवाज़, और कभी आपके सवालों को एक नई दृष्टि।
यह प्रस्तावना लिखते हुए मैं केवल एक पाठक नहीं हूँ, बल्कि एक सहयात्री हूँ—उस यात्रा का, जो मन युग के पन्नों के माध्यम से हमें स्वयं तक पहुँचाती है।
"लेखक के शब्दों में…"
“शब्द केवल विचार नहीं होते, वे उपचार भी होते हैं। जो बात दवाएं नहीं कह पातीं, वह संवेदनाएं कह देती हैं – और संवेदनाएं अक्सर साहित्य के पन्नों में दर्ज होती हैं।”
— अतुल शर्मा
आइए, इस यात्रा का आरंभ करें। मन युग के हर पृष्ठ पर ठहरें, सोचें, और अनुभव करें—क्योंकि यह यात्रा बाहर की नहीं, भीतर की है।
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