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बच्चे देश की धरोहर हैं । हमारे देश का निर्माण कैसे होगा और हमारा भविष्य कैसा होगा, यह बच्चों के पालन-पोषण तथा उनकी मानसिकता पर ही निर्भर करता है । माँ-बाप की सारी आशाएँ उन्ही पर टिकी रहती हैं । परन्तु आजकल का समाज बच्चों को क्या मूल्य दे रहा है, इस बारे में चिंतित होना आवश्यक है । एक तरफ एक्ल परिवारों का चलन, जिनमें नाना-नानी, दादा-दादी तथा अन्य रिश्तों का अभाव रहता है, तथा दूसरी तरफ किताबों का बोझ रहता है। माता-पिता भी अपने कामों में बहुत व्यस्त रहते हैं । फिर टेलीविजन का चलन । यह सब मिल कर बच्चों को सही दिशा दिखलाने के बजाय, राह भटका सकते हैं । उनको सही मूल्यों का ज्ञान कौन देगा ? उनके मन में उपजे कौतुहल का निदान कौन करेगा ? इस सब के बारे में आज के यंत्र-चालित जीवन में सोचने की किसको फुर्सत है । इसीलिये बच्चों के लिये साहित्य का अभाव है । यही बात मेरे मन को खटकती रहती थी । मैंने अपने मन को बच्चों के लिये ऐसी बाल-कविताओं की रचना की ओर लगाया, जिससे उनका मनोरंजन तो हो ही, उनके शिक्षाप्रद भी हों । इस ओर मेरा यह छोटा सा प्रयास है । प्रस्तुत संकलन में मैंने बाल-कविताओं द्वारा बच्चों को हमारे शाश्वत जीवन-मूल्यों के बारे में बताने की कोशिश की है । आशा है मैं अपनी कोशिश में कामयाब पाया जाऊँगा ।
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