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“चौराहे पर कृष्ण” का पुन: प्रकाशन
कवि छोटी सी कविता में महाकाव्य रच देता है या फिर एक विशाल महाकाव्य को अपनी एक छोटी-सी कविता में समाहित कर लेता है । कवि ध्रुवदेव मिश्र पाषाण ऐसे ही एक कवि हैं जिन्होंने महाभारत में निहित श्री कृष्ण के संपूर्ण व्यक्तित्व को, उनकी संपूर्ण क्रियाकलाप को, उनकी संपूर्ण चिंतन को एक लम्बी कविता में समाहित कर एक युग से गुजारते हुए दूसरे युग में लाकर खड़ा कर दिया है । महाभारत-कालीन आदि कवि व्यास ने जहां लाकर श्री कृष्ण को मुक्त कर दिया था वहीं से उठाकर आधुनिक कवि पाषाण "चौराहे पर कृष्ण" में उनको प्रश्नों के कठघरे में उनकी सम्पूर्ण मर्यादा सहित खड़ा करते हैं और उनसे वर्तमान की समस्याओं का हल मांगते हैं । ऐसे प्रश्न उठाने से पहले कवि पाषाण स्वयं कृष्ण की पीड़ा से गुजरते हैं, रोम-रोम से उसका अनुभव करते हैं और ऐसी परिस्थितियों से स्वयं...
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