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यह पुस्तक अलग अलग विषयों में लिखी गयी कविताओं का संग्रह है . आजादी की याद और महात्मा गांधी के समय के भारत की आज के भारत के साथ तुलना की गयी है तो उत्तराखंड में आई आपदा को भी कविता में दर्शाया है . आज के युवाओं का सबसे पसंदीदा विषय प्यार को भी बखूबी कविता की माला में पिरोया है . इन कविताओं में विभिन्न रसों का समावेश है एवं व्यंग्यों के द्वारा भी कई ऐसे विषयों की चर्चा है जिनको जानना हमारे लिए आवश्यक है ..
उदाहरण के तौर पर निम्नलिखित कविताओं के अंशो को पड़े
1.मेरी दीवानी
मेरे रग रग में ,
तेरी ही रवानी है |
मेरी हर नब्ज़ बस,
तेरी ही दीवानी है ||
होठों पे तेरा नाम,
आँखों में तेरा ही पानी है |
मेरा हर गीत बयां करता,
बस एक तेरी कहानी है ||
मेरे मन मंदिर में बसा ,
एक तेरा नाम रूहानी है |
तेरी हर इक बात,
याद मुझे जुबानी है ||
2.स्वतंत्रा दिवस :हमारा गौरव
लाल रक्त से धरा नहाई,
श्वेत नभ पर लालिमा छायी |
आजादी के नव उद्घोष पे ,
सबने वीरो की गाथा गायी ||
गाँधी ,नेहरु ,पटेल , सुभाष की ,
ध्वनि चारो और है छायी |
भगत , राजगुरु और , सुखदेव की
क़ुरबानी से आँखे भर आई ||
ऐ भारत माता तुझसे अनोखी ,
और अद्भुत माँ न हमने पायी |
हमारे रगों में तेरे क़र्ज़ की ,
एक एक बूँद समायी ||
3.केदारनाथ प्रलय
ना जाने क्यों बरस पड़े,
वो इन्द्र देव इन पहाड़ो पर |
नष्ट हुआ हर ज़रा-ज़रा ,
दरार पड़ी दीवारों पर ||
देख इस जल का जलजला ,
बिजली कौंध पड़ी नजारो पर |
छोड़ गया इस बर्बादी को,
वो न जाने किन सहारों पर ||
राहत सामग्री की जगह देखो,
नेता आए जहाजों पर |
नीचे का मंजर देखा तो ,
लाशें पड़ी थी दरवाजो पर ||
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