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कुण्डलिनी रहस्योद्घाटित

प्रेमयोगी वज्र क्या कहता है
प्रेमयोगी वज्र
Type: Print Book
Genre: Religion & Spirituality, Mystery & Crime
Language: Hindi
Price: ₹140 + shipping

Also Available As

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Description

यह तंत्र-निर्देशित पुस्तक सवाल-जवाब के रूप में कुंडलिनी और कुंडलिनी योग से संबंधित व्यावहारिक बिंदुओं का एक संग्रह है। यह प्रेमयोगी वज्र द्वारा तब लिखी गई थी, जब उनकी कुंडलिनी चरम सक्रियता पर थी, और चरम स्तर पर उनके अंदर अभिव्यक्त हो रही थी। इसलिए, उन्होंने इस पुस्तक को लिखने के उन दिनों के दौरान अपनी कुंडलिनी की जागृति भी प्राप्त की। कुण्डलिनी-साधकों के लिए यह पुस्तक किसी वरदान से कम नहीं है। साथ में, प्रेमयोगी वज्र जब जिज्ञासु साधकों को कुण्डलिनी योग सिखाता था, तब जो सुझाव वह उन्हें देता था, वे सारे सुझाव भी इस पुस्तक में हैं। यह पुस्तक अंगरेजी-अनुवाद में भी "कुण्डलिनी डिमिसटीफाईड / kundalini demystified" नाम से उपलब्ध है।

About the Author

लेखक परिचय (प्रेमयोगी वज्र)-
प्रेमयोगी वज्र का जन्म 1975 में भारत के हिमाचल प्रांत के एक छोटे से गाँव में हुआ था। वह स्वाभाविक रूप से लेखन, दर्शन, आध्यात्मिकता, योग, लोक-व्यवहार, व्यावहारिक विज्ञान और पर्यटन के शौकीन हैं। उन्होंने पशुपालन व पशु चिकित्सा के क्षेत्र में भी प्रशंसनीय काम किया है। वह पोलीहाउस खेती, जैविक खेती, वैज्ञानिक और पानी की बचत युक्त सिंचाई, वर्षाजल संग्रहण, किचन गार्डनिंग, गाय पालन, वर्मीकम्पोस्टिंग, वैबसाईट डिवेलपमेंट, स्वयंप्रकाशन, संगीत और गायन के भी शौकीन हैं। इन सभी विषयों पर उन्होंने पुस्तकें भी लिखी हैं, जिनका वर्णन एमाजोन, ऑथर सेन्ट्रल, ऑथर पेज, प्रेमयोगी वज्र पर उपलब्ध है। इन पुस्तकों का वर्णन उनकी निजी वेबसाईट demystifyingkundalini.com पर भी उपलब्ध है। वे थोड़े समय के लिए एक वैदिक पुजारी भी रहे थे, जो लोगों के घरों में अपने वैदिक पुरोहित दादाजी की सहायता से धार्मिक अनुष्ठान करते थे। उन्हें कुछ उन्नत आध्यात्मिक अनुभव (आत्मज्ञान और कुंडलिनी जागरण) प्राप्त हुए हैं। उनके अनोखे अनुभवों सहित उनकी आत्मकथा विशेष रूप से "शरीरविज्ञान दर्शन- एक अधुनिक कुंडलिनी तंत्र (एक योगी की प्रेमकथा)" पुस्तक में साझा की गई है। उन्हें सर्वप्रसिद्ध प्रश्नोत्तरी वैबसाईट quora.com पर "क्वोरा टॉप राइटर 2018" के रूप में भी सम्मानित किया गया है।
प्रेमयोगी वज्र एक रहस्यमयी व्यक्ति है। वह बहुरूपिए की तरह है, जिसका कोई एक निर्धारित रूप नहीं होता। उसका वास्तविक रूप उसके मन में लग रही समाधि के आकार-प्रकार पर निर्भर करता है, बाहर से वह चाहे कैसा भी दिखे। वह आत्मज्ञानी(enlightened) भी है, और उसकी कुण्डलिनी भी जागृत हो चुकी है। उसे आत्मज्ञान की अनुभूति प्राकृतिक रूप से/प्रेमयोग से हुई थी, और कुण्डलिनी जागरण की अनुभूति कृत्रिम रूप से/कुण्डलिनी योग से हुई। प्राकृतिक समाधि के समय उसे सांकेतिक व समवाही तंत्रयोग की सहायता स्वयमेव मिली, और कृत्रिम समाधि के समय पूर्ण व विषमवाही तंत्रयोग की सहायता उसे उसके अपने प्रयास से उपलब्ध हुई।

Book Details

Publisher: स्वयंप्रकाशित
Number of Pages: 55
Dimensions: 5"x8"
Interior Pages: B&W
Binding: Paperback (Perfect Binding)
Availability: In Stock (Print on Demand)

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