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मां भारती शब्दयात्रा मंच द्वारा प्रस्तुत-भारतीय सांस्कृतिक चेतना की धरोहर को अक्षरबद्ध करता यह काव्यसंग्रह "रामा काव्यम्", केवल एक साझा काव्य संकलन नहीं, अपितु एक भावात्मक और आध्यात्मिक यात्रा है — जो मर्यादा पुरुषोत्तम श्रीराम के जीवन, आदर्शों एवं उनके सार्वकालिक मूल्यों को समर्पित है।
माँ भारती शब्दयात्रा मंच द्वारा प्रस्तुत यह संकलन 27 चयनित रचनाकारों की उन काव्याभिव्यक्तियों का संग्रहीत रूप है, जो श्रीराम के बाल्यकाल से लेकर वनवास, रावण-वध, सीता की अग्निपरीक्षा, और अंततः रामराज्य की स्थापना तक की कथा को विविध काव्यरूपों में उजागर करती हैं।
इस काव्य संग्रह का विशेष महत्व इसकी समसामयिकता में निहित है। यह केवल पौराणिक आख्यान नहीं, बल्कि आज की पीढ़ी के लिए एक नैतिक, सांस्कृतिक और आध्यात्मिक मार्गदर्शन भी है। श्रीराम के जीवन से जुड़े सत्य, करुणा, धर्म, मर्यादा और संयम जैसे मूल्य — जो सनातन संस्कृति की आधारशिला हैं — इन कविताओं के माध्यम से पाठकों के हृदय में पुनः जाग्रत होते हैं।
संपादकीय मंडल —श्री उज्जवल कुमार श्रीवास्तव जी, श्रीमती तृषा त्रिवेदी "मेघ" जी, श्री पीयूष त्रिवेदी जी एवं रितु झा ‘वत्स’ जी — के सौम्य निर्देशन, परिश्रम व साहित्यिक सौंदर्यबोध ने इस काव्य-यात्रा को एक सशक्त एवं भावपूर्ण स्वरूप प्रदान किया है।
“रामा काव्यम्” केवल शब्दों का संकलन नहीं, बल्कि श्रीराम के श्रीचरणों में समर्पित एक काव्यात्मक अर्घ्य है — जहाँ श्रद्धा, साहित्य और संस्कृति एक त्रिवेणी की भाँति प्रवाहित होते हैं। यह संग्रह एक ऐसा सेतु है, जो युवा मानस को भारत की सनातन परंपरा, लोकमंगल और धर्मबोध से जोड़ता है।
इस काव्यगंगा में अवगाहन कर प्रत्येक पाठक न केवल आत्मिक आनंद का अनुभव करेगा, बल्कि श्रीराम के आदर्शों से अनुप्राणित होकर अपने जीवन को भी सार्थक दिशा में प्रवाहित करने की प्रेरणा पाएगा। जय श्री राम
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